जाने! भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमणकारी कौन था?

जय हिंद दोस्तों तो आइए आज हम जानते हैं कि भारत को किन मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कितना लूटा और किसने सबसे पहले भारत पर आक्रमण किया भारत पर सबसे पहले मुस्लिम आक्रमण 711  में बुदेला और उबैदुल्ला के नेतृत्व में हुआ। लेकिन यह आक्रमण असफल हुआ।

जाने! भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमणकारी कौन था?

भारत पर पहला सफल आक्रमण करने वाला मुस्लिम शासक मोहम्मद बिन कासिम था।


इसमें 712 ईसवी में रावर के युद्ध में सिंध के राजा दाहिर को पराजित किया और राजा दाहिर पर आक्रमण करने का कारण केवल धन दौलत लूटना और इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना था
मोहम्मद बिन कासिम ने 713 ईसवी में मुल्तान को जीत लिया और यहां से उसे इतनी अधिक सोने के भंडार मिला कि मुल्तान को इतिहास में स्वर्ण नगरी कहा जाने लगा।

मोहम्मद बिन कासिम के इस आक्रमण के फल स्वरुप अरब वासियों ने भारत से  खगोल शास्त्र, अंकगणित, चिकित्सा शास्त्र और दर्शन के क्षेत्र में बहुत कुछ सीखा और इसका प्रचार-प्रसार यूरोप में किया।
 
सर्वप्रथम रब्बा सियानी मुसलमानों ने भारतीयों को हिंदू कहकर संबोधित किया और इस देश का नाम हिंदुस्तान रखा था अरब आक्रमण के स्थल स्वरूप भारत में पर्दा प्रथा का तेजी से विकास हुआ इसके साथ ही जजिया ,जकात और खराज नामक कर के बारे में जानकारी मिली।
जजिया गैर मुसलमानों से लिए जाने वाले एक प्रकार का सुरक्षात्मक कर था इस कार्य से बच्चे बूढ़े ब्राह्मण विकलांग औरतों को मुक्त रखा गया लेकिन फिरोजशाह तुगलक ने ब्राह्मणों से भी जजिया कर लिया मुगल बादशाह अकबर ने 1564 में जजिया कर को समाप्त कर दिया लेकिन औरंगजेब ने 1669 में अपने जजिया कर लगा दिया

 

जजिया कर को अंतिम रूप से मोहम्मद शाह ( रंगीला बादशाह) ने समाप्त किया

 
 
मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध में ऊंट पाने के प्रधान तथा खजूर की खेती को प्रारंभ करवाया
इसी के कार्यकाल में विष्णु शर्मा का पंचतंत्र चरक संहिता आर्यभट्ट का सूर्य सिद्धांत तथा सुश्रुत संहिता का अरबी भाषा में अनुवाद किया गया था
इसने कला साहित्य या अन्य कोई क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं की क्योंकि इसका उद्देश्य धन दौलत लूटना और इस्लाम धर्म का प्रचार करना ही था।
चचनामा ग्रंथ के अनुसार सुलेमान के आदेश पर मोहम्मद बिन कासिम की हत्या करवा दी गई थीं।
 

भारत में मुस्लिम सत्ता की स्थापना का श्रेय तुर्को को दिया जाता है। 

भारत पर पहला तुर्क आक्रमणकारी सुबुक्तगीन था । सुबुक्तगीन का पुत्र महमूद गजनवी था जो अफगान के गजनी का रहने वाला था महमूद गजनवी 1998 ईस्वी में गद्दी पर बैठा इसने 1000 से 1027 के बीच कुल 17 बार आक्रमण किए। इसने मध्य एशिया के एक बड़े साम्राज्य की स्थापना के लिए धन प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया। महमूद  गजनवी को मूर्ति तोड़ने वाला शासक उर्फ मूर्ति भंजक भी कहा जाता है।
 
भारत पर अजनबी का सबसे महत्वपूर्ण अभियान 1025 से 1026 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण था इस युद्ध में 50000 से अधिक लोग मारे गए और महमूद ने मंदिर को पूर्णता नष्ट कर दिया और इसकी अथाह संपत्ति को सिंध के रेगिस्तान से लेकर वापस लौट गया वापस लेकर जाते समय गुजरात के जाटों ने इस पर आक्रमण कर दिया और इसके धन को लूट लिया  1030 में असाध्य रोग मलेरिया के कारण महमूद गजनव की मृत्यु हो गई

इसके बाद भारत पर मोहम्मद गोरी जिसे गोर वंश का मोहम्मद भी कहा जाता है ने आक्रमण किया। 1178 में 1178 में इसने पाटन पर आक्रमण किया किंतु वहां के शासक भीम सेकंड ने माउंट आबू परी से बुरी तरह हरा दिया यह तुरुक आक्रमणकारियों की पहली पराजय थी मोहम्मद गोरी ने 1179 में पेशावर 1181 में लाहौर 1185 में सियालकोट को जीत लिया मोहम्मद गोरी लाहौर और उसके आसपास के क्षेत्रों को जीता गया और लाहौर को अपनी राजधानी बनाया 1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान थर्ड ने गौरी को पराजित किया 1192 में तराइन के युद्ध में मोहम्मद गोरी ने जयचंद के सहयोग से पृथ्वीराज तृतीय को पराजित किया और उसकी हत्या कर दी।
 
 
इतिहासकार बीएस स्मिथ ने कहा तराइन का द्वितीय युद्ध ऐसा निर्णायक साबित हुआ जिसमें भारत पर मुसलमानों की आधारभूत सफलता निश्चित कर दिया गया बाद में होने वाले आक्रमण परिणाम मात्र थे तराइन के युद्ध के बाद गोरी ने मेरठ अलीगढ़ पर अधिकार कर लिया और दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया 1194 के चंदावर के युद्ध में उसने जयचंद को भी पराजित कर दिया 1205 में गोरी ने अपना अंतिम अभियान पंजाब के खोखर जाति के विरुद्ध किया लेकिन 1206 में दमक नामक स्थान पर रामलाल खोखर ने मोहम्मद गौरी की हत्या कर दी थी मोहम्मद गोरी को गजनी में दफनाया गया मोहम्मद गौरी के तीन प्रमुख गुलाम थे 
 (1 )कुतुबुद्दीन ऐबक
(२) यालदोज
(३) कुबाचा
इसके बाद भारत में दिल्ली सल्तनत की नींव रखी गई।
 
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